Quran ki Mahima

इस संग्रह में क़ुरआन के तीन पहलुओं पर संक्षिप्त बातचीत की गई है। एक यह कि क़ुरआन अपने आपमें इस बात का सबूत है कि यह ईश्वर की किताब है। अब सवाल यह है कि क़ुरआन की वह कौन-सी विशेषता है, जो इंसान के लिए अनुकरणीय नहीं है। इसके विभिन्न पक्ष हैं। यहाँ हम इसके केवल एक पक्ष की चर्चा करेंगे, जिसका वर्णन क़ुरआन में इन शब्दों में किया गया है—  “क्या लोग क़ुरआन पर ग़ौर नहीं करते और अगर वह ईश्वर के सिवा किसी और की तरफ़ से होता तो वे इसके अंदर बड़ा विरोधाभास पाते।” दूसरा यह कि वह उसी शुरुआती रूप में पूरी तरह से सुरक्षित है, जैसा कि वह सातवीं शताब्दी में पैग़ंबरे-इस्लाम हज़रत मुहम्मद को मिला था। तीसरा यह कि क़ुरआन सच्चाई की ओर निमंत्रण देने की एक किताब है और इसके निमंत्रण में इतनी ताक़त है कि जब भी इसे सही रूप में दुनिया के सामने लाया जाएगा तो वह दुनिया के लोगों को मंत्रमुग्ध कर देगा।

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