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Dharm aur Aadhunik Chunauti

आधुनिक नास्तिक चिंतकों के निकट धर्म में कोई वास्तविक सच्चाई नहीं है, बल्कि यह इंसान की सिर्फ़ इस तड़प का नतीजा है कि वह ब्रह्मांड के होने का कारण जानना चाहता है। कारण तलाश करने की इंसानी भावना स्वयं ग़लत नहीं है, मगर अल्प ज्ञान ने हमारे पूर्वजों को उन ग़लत जवाबों तक पहुँचा दिया, जिसे ईश्वर या धर्म कहा जाता है। अतः वह समस्त चीज़ें, जिन्हें अलौकिक कारणों का परिणाम समझा जाता था, अब बिल्कुल प्राकृतिक साधनों के तहत उनकी स्पष्टता मालूम कर ली गई है। आधुनिक अध्ययन-शैली ने हमें बता दिया है कि ईश्वर का अस्तित्व मानना इंसान की कोई वास्तविक खोज नहीं थी, बल्कि यह मात्र अज्ञानता के युग के अनुमान थे, जो ज्

Jannat Insaan ki Manzil

इंसान अपनी आरजु़ओं की तकमील के लिए दुनिया मे जद्दोजहद शुरू करता है। मगर उसे महसूस होता है कि अपनी मतलूब चीज़ों को पाने के बाद भी वह ब-दस्तूर महरूमी के एहसास से दो-चार है, अब भी वह पाने के एहसास तक न पहुँच सका; क्योंकि उसके दिल में जो आरज़ू थी, वह परफ़ेक्ट चीज़ के लिए थी, जबकि दुनिया की हर चीज़ ग़ैर-परफ़ेक्ट (imperfect) है और ज़ाहिर है किसी परफ़ेक्शनिस्ट को ग़ैर-परफ़ेक्ट में तस्कीन नहीं मिल सकती। दुनिया में राहत और मुसर्रत तलाश करना ऐसा ही है, जैसे कोई मुसाफ़िर रेलवे स्टेशन पर अपने लिए एक आरामदेह घर बनाने की कोशिश करे। हर मुसाफ़िर जानता है कि स्टेशन घर बनाने के लिए नहीं होता।