आधुनिक नास्तिक चिंतकों के निकट धर्म में कोई वास्तविक सच्चाई नहीं है, बल्कि यह इंसान की सिर्फ़ इस तड़प का नतीजा है कि वह ब्रह्मांड के होने का कारण जानना चाहता है। कारण तलाश करने की इंसानी भावना स्वयं ग़लत नहीं है, मगर अल्प ज्ञान ने हमारे पूर्वजों को उन ग़लत जवाबों तक पहुँचा दिया, जिसे ईश्वर या धर्म कहा जाता है। अतः वह समस्त चीज़ें, जिन्हें अलौकिक कारणों का परिणाम समझा जाता था, अब बिल्कुल प्राकृतिक साधनों के तहत उनकी स्पष्टता मालूम कर ली गई है। आधुनिक अध्ययन-शैली ने हमें बता दिया है कि ईश्वर का अस्तित्व मानना इंसान की कोई वास्तविक खोज नहीं थी, बल्कि यह मात्र अज्ञानता के युग के अनुमान थे, जो ज्ञान का प्रकाश फैलने के बाद स्वतः समाप्त हो गए ।
भौतिक विचार के मुकाबले में धर्म के सबूतों का दूसरा रूप यह है कि स्वयं उन्हें ज्ञान के माध्यमों के तहत उसे साबित किया जाए, जिसके अनुसार भौतिक विद्याओं में किसी चीज़ को साबित किया जाता है। दृष्टिगत किताब में अधिकतर इसी दूसरी सूरत को साधारण शैली में धारण करने का प्रयास किया गया है। लेखक का प्रयास यह है कि भौतिक वास्तविकताओं को साबित करने के लिए वर्तमान समय में जो तरीक़ा धारण किया जाता के है, उसी को सामान्य रूप से समझ आने वाली शैली में धर्म के सबूत के लिए इस्तेमाल किया जाए।
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