भारतीय संस्कृति परस्पर सहमति से बनती है
Submitted by Maulana Wahidud... on Tue, 07/30/2013 - 11:17मौलाना वहीदुद्दीन खान I नवभारत टाइम्स | Jul 24, 2013
मौलाना वहीदुद्दीन खान अपनी पैदाइश से अब तक की मेरी पूरी जिंदगी भारत में ही बीती हैं और मैं खुद को इस संस्कृति का हिस्सा मानता हूं। भारत की मोहब्बत मेरे दिल में उसी तरह रची-बसी है, जिस तरह अपनी मां के लिए है।
मैं समझता हूं कि भारतीय संस्कृति के दो पहलू हैं। एक पहलू है आध्यात्मिकता और दूसरा पहलू है शांति। आध्यात्मिकता भारतीय संस्कृति का भीतरी पहलू है और शांति बाहरी- स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं और महात्मा गांधी शांति के।

