इस्लाम आधुनिक युग का निर्माता
इतिहासकारों ने आम तौर पर माना है कि अरब-मुसलमानों के माध्यम से जो ज्ञान-विज्ञान यूरोप पहुँचा‚ आख़िरकार वही यूरोप के नवजागरण (renaissance) या सही शब्दों में प्रथम जागरण पैदा करने का कारण बना। प्रोफ़ेसर हिट्टी ने लिखा है कि 832 ई० में बग़दाद में ज्ञान-सदन बनाने के बाद जिसे बैत-अल-हिक्मा (House of Wisdom) कहा जाता है, अरबों ने जो अनुवाद किए और जो पुस्तकें तैयार की‚ वह लैटिन भाषा में अनूदित होकर स्पेन और सिसली के रास्ते से यूरोप पहुँची और फिर वह यूरोप में नवजागरण के पैदा होने का कारण बनीं।
इस संग्रह में क़ुरआन के तीन पहलुओं पर संक्षिप्त बातचीत की गई है। एक यह कि क़ुरआन अपने आपमें इस बात का सबूत है कि यह ईश्वर की किताब है। अब सवाल यह है कि क़ुरआन की वह कौन-सी विशेषता है, जो इंसान के लिए अनुकरणीय नहीं है। इसके विभिन्न पक्ष हैं। यहाँ हम इसके केवल एक पक्ष की चर्चा करेंगे, जिसका वर्णन क़ुरआन में इन शब्दों में किया गया है— “क्या लोग क़ुरआन पर ग़ौर नहीं करते और अगर वह ईश्वर के सिवा किसी और की तरफ़ से होता तो वे इसके अंदर बड़ा विरोधाभास पाते।” दूसरा यह कि वह उसी शुरुआती रूप में पूरी तरह से सुरक्षित है, जैसा कि वह सातवीं शताब्दी में पैग़ंबरे-इस्लाम हज़रत मुहम्मद को मिला था। तीसरा यह कि क़ुरआन स